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साल में एक दिन के लिए खुला श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर:आधी रात को हुआ त्रिकाल पूजन; रात से कतारों में लगे भक्त, 1 घंटे में दर्शन का दावा
आज सावन महीने का सातवां सोमवार है। नागपंचमी और सोमवार का संयोग बना है। उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के शीर्ष पर विराजमान श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट रविवार आधी रात को खोल दिए गए। ये पट साल में एक बार नागपंचमी पर ही खुलते हैं। सबसे पहले श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरि महाराज ने त्रिकाल पूजन और अभिषेक किया। फिर दर्शन का क्रम शुरू हो गया।
प्राचीनकाल से पंचांग तिथि अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन ही इस मंदिर के पट खुलने की परंपरा है। श्री नागचंद्रेश्वर भगवान की यह प्रतिमा 11वीं शताब्दी की है। इस प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर शिव जी के साथ देवी पार्वती बैठी हैं। संभवत: दुनिया में ये एक मात्र ऐसी प्रतिमा है, जिसमें शिवजी नाग शैया पर विराजमान हैं।
मंदिर में शिवजी, मां पार्वती, श्रीगणेश जी के साथ ही सप्तमुखी नाग देव हैं। दोनों के वाहन नंदी और सिंह भी विराजमान हैं। शिव जी के गले और भुजाओं में भी नाग लिपटे हुए हैं।
श्रावण माह का 7वां सोमवार और नागपंचमी पर आज उज्जैन कलेक्टर ने नगर निगम सीमा में आने वाले सभी प्री – प्राइमरी से 12वीं तक के सरकारी और प्राइवेट स्कूल में अवकाश घोषित किया है।
श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर में 1 घंटे में दर्शन का दावा
दर्शनार्थी चारधाम मंदिर की ओर लाइन में लगकर बैरिकेड से हरिसिद्धि माता मंदिर और फिर बड़े गणेश मंदिर होते हुए श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंच रहे हैं। मंदिर प्रशासन ने यहां तक जाने के लिए पिछले साल बनाए गए ब्रिज से ही व्यवस्था की है। चारधाम से लाइन में लगने के बाद करीब एक घंटे में लोगों को दर्शन का दावा मंदिर समिति ने किया है।
नेपाल से लाकर मंदिर में स्थापित की गई श्री नागचंद्रेश्वर प्रतिमा
महाकालेश्वर मंदिर में सबसे नीचे भगवान महाकालेश्वर, दूसरे खंड में ओंकारेश्वर और तीसरे खंड में श्री नागचंद्रेश्वर भगवान का मंदिर है। यह मंदिर काफी प्राचीन है। माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के करीब इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। प्रतिमा नेपाल से लाकर मंदिर में स्थापित की गई थी।
नागचंद्रेश्वर मंदिर के लिए यहां से करें प्रवेश
- भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए श्रद्धालु भील समाज धर्मशाला से प्रवेश कर करेंगे। यहां से गंगा गार्डन के पास चारधाम मंदिर, पार्किंग स्थल जिगजैग, हरसिद्धि चौराहा, रूद्रसागर के पास, बड़ा गणेश मंदिर, गेट नंबर 4 या 5, विश्राम धाम, एरोब्रिज से होकर भगवान नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन किए जा सकेंगे।
- भक्त एरोब्रिज के द्वितीय ओर से रैंप, मार्बल गलियारा, नवनिर्मित मार्ग, प्रीपेड बूथ चौराहा पहुंचेंगे। यहां से द्वार नंबर 4 या 5 के सामने से बड़ा गणेश मंदिर, हरसिद्धि चौराहा, नृसिंह घाट तिराहा होते हुए दोबारा भील समाज धर्मशाला पहुंचेंगे।
महाकाल का नागचंद्रेश्वर के रूप में विशेष श्रृंगार, शाही सवारी आज शाम
उज्जैन में महाकाल के दर्शन के लिए रात 12 बजे से श्रद्धालु लाइन में लगना शुरू हो गए थे। रात 2.30 बजे भस्म आरती के लिए मंदिर के पट खोले गए। भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक पूजन कर भस्म रमाई गई।
पट खुलने के बाबा महाकाल को पंडे – पुजारियों ने नियमानुसार जल चढ़ाकर दूध, घी, शहद, शक्कर व दही से पंचामृत अभिषेक किया। इसके बाद बाबा का भांग, सूखे मेवों से श्रृंगार कर भस्म चढ़ाई। 1 घंटे चली भस्म आरती में बाबा का भांग, चंदन, फल, वस्त्र आभूषण से नागचंद्रेश्वर के रूप में विशेष श्रृंगार किया गया।
पंडित महेश पुजारी ने बताया कि सावन महीने में महाकालेश्वर मंदिर में पांच आरती होती हैं। सबसे खास भस्म आरती होती है। रोजाना पंचामृत किया जाता है। इन दिनों महाकाल को बेलपत्र और जल चढ़ाने का अलग महत्व है। कुछ भक्त एक से लेकर एक लाख तक बेल पत्र चढ़ाते हैं।